हमें ठुकरा कर गर वो खुश है,
तो हम शिकायत किस से करें।
अपनी ही ज़िन्दगी हो गयी हो रुस्वा
तो इनायत किस से करें।
बेवफ़ा गर वो है,
तो हम वफ़ा किससे करें।
हमारी तो ज़िन्दगी ही वो थे।
गर ज़िन्दगी ने ही,
ज़िन्दगी छीन ली,
तो शिकायत किस से करें ।
© कवि अनुभव शर्मा
तो हम शिकायत किस से करें।
अपनी ही ज़िन्दगी हो गयी हो रुस्वा
तो इनायत किस से करें।
बेवफ़ा गर वो है,
तो हम वफ़ा किससे करें।
हमारी तो ज़िन्दगी ही वो थे।
गर ज़िन्दगी ने ही,
ज़िन्दगी छीन ली,
तो शिकायत किस से करें ।
© कवि अनुभव शर्मा
No comments:
Post a Comment