21 February 2021

मेहंदी की जगह मैंने लहू निचोड़ दिया। अनुभव शर्मा

 अपने नाम में मेरा नाम जोड़ दिया,

फिर जाने क्यों ये रिश्ता तोड़ दिया।


जा चुके हैं अब सभी मेरी जिंदगी से ,

हैरत तो तब हुई जब तूने छोड़ दिया।


हाल ऐ दिल की किताब लगा लिखने,

तेरा जिक्र आया तो पन्ना मोड़ दिया।


सूने हाथ लेकर बैठी थी वो मंडप में,

मेहंदी की जगह मैंने लहू निचोड़ दिया।


© अनुभव शर्मा



26 January 2021

देश का त्यौहार हमारा संविधान गणतंत्र हैं। कवि अनुभव शर्मा

हजारों कुर्बानी देकर पाया हमने भारतीय तंत्र है,
यही मानवाधिकार हमारा यही लोकतंत्र है,
दिपावली होली लोहड़ी ईद से है बढ़कर,
देश का त्यौहार हमारा संविधान गणतंत्र हैं।

© कवि अनुभव शर्मा

22 January 2021

तन्हा गुजार चुका हूँ,अब बाकी गुजार रहा हूँ - अनुभव शर्मा

तन्हा गुजार चुका हूँ,
अब बाकी गुजार रहा हूँ।

आहिस्ता आहिस्ता मैं,
अब खुद को सुधार रहा हूँ।

© अनुभव शर्मा

20 January 2021

तुमसे बेहतर होगा कौन - अनुभव शर्मा

 लोग कहते हैं बेहतर सोचों,

मैंने सोचा तुम्हें सोचूं,

तुमसे बेहतर होगा कौन।


सत्य असत्य के भंवरजाल में,

फसने से बेहतर है मौन।


- अनुभव शर्मा



Search This Blog