23 October 2017

बूँद-बूँद बरसा जो.............

 
बूँद-बूँद बरसा जो,
वो पानी की बूँद हूँ मैं,
तेरी चाहत की खातिर,
समुन्दर-सा अड़ जाता हूँ।
कवि : श्री अनुभव शर्मा 

16 October 2017

जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता है..........

जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता है,
मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हसाना चाहता है,
जाने क्या बात झलकती है मेरे इस चेहरे से,
हर शख्स मुझे आज़माना चाहता है


कवि : श्री अनुभव शर्मा  

9 October 2017

मैं बता नहीं पाता हूँ........

हाल अपने दिल का, मैं तुम्हें सुना नहीं पाता हूँ..
जो सोचता रहता हूँ हरपल, होंठो तक ला नहीं पाता हूँ..
बेशक बहुत मोहब्बत है, तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में..
पर पता नहीं क्यों तुमको, फिर भी मैं बता नहीं पाता हूँ..

कवि : श्री अनुभव शर्मा   

8 October 2017

कोई दूर हो जाता है............


  

कोई दूर हो जाता है मुझसे तो कोई बिछड़ जाता हैं
दर्द को आघोश में लिए, मेरा हर साल आता हैं !
 

कवि : श्री अनुभव शर्मा   

6 October 2017

हर राह पर उलझ लिए ज़िन्दगी से...............


हर राह पर उलझ लिए ज़िन्दगी से,
कभी जी लिए तो कभी झगड़ लिए ज़िन्दगी से,

कभी किसी को पाने के लिए लड़ लिए,
तो कभी खुद को मिटाने के लिए लड़ लिए ज़िन्दगी से,
=> कवि : श्री अनुभव शर्मा

5 October 2017

मोहब्बत भी कटी पतंग जैसी.......

मोहब्बत भी कटी पतंग जैसी ही है जनाब,
गिरती वहीं है जिसकी छत बड़ी होती है..

कवि : श्री अनुभव शर्मा  

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