5 October 2017

मोहब्बत भी कटी पतंग जैसी.......

मोहब्बत भी कटी पतंग जैसी ही है जनाब,
गिरती वहीं है जिसकी छत बड़ी होती है..

कवि : श्री अनुभव शर्मा  

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