23 October 2017

बूँद-बूँद बरसा जो.............

 
बूँद-बूँद बरसा जो,
वो पानी की बूँद हूँ मैं,
तेरी चाहत की खातिर,
समुन्दर-सा अड़ जाता हूँ।
कवि : श्री अनुभव शर्मा 

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