हजारों कुर्बानी देकर पाया हमने भारतीय तंत्र है,
यही मानवाधिकार हमारा यही लोकतंत्र है,
दिपावली होली लोहड़ी ईद से है बढ़कर,
देश का त्यौहार हमारा संविधान गणतंत्र हैं।
© कवि अनुभव शर्मा
कवि सम्मेलनों के मंच पर अपनी अपनी विधा में कवि अनुभव शर्मा का कोई सानी नहीं है। देश के चुनिंदा मंच संचालकों में अनुभव शर्मा शुमार करते हैं। अनुभव शर्मा देश के उच्चकोटि के कवियों में गिने जाते हैं जिनकी उपस्थिति ही मंच को गरिमा प्रदत्त कर देती है। आइये एक भेंट करते हैं ऐसे शानदार कवि से.…।
लोग कहते हैं बेहतर सोचों,
मैंने सोचा तुम्हें सोचूं,
तुमसे बेहतर होगा कौन।
सत्य असत्य के भंवरजाल में,
फसने से बेहतर है मौन।
- अनुभव शर्मा