25 June 2020

शायरी भी अब मुकम्मल हो रही हैं - अनुभव शर्मा

शायरी भी अब मुकम्मल हो रही हैं,
जब से आँखें मेरी नम हो रही है।

चूमकर मेरी डायरी को उसने कहा,
गज़लो में मुहब्बत क्यों कम हो रही हैं।

© कवि अनुभव शर्मा

No comments:

Post a Comment

Search This Blog