6 April 2025

कविता: “अब इश्क़ नहीं करता”

कविता: “अब इश्क़ नहीं करता”

अगर कभी मिलो तो कहना —

कि वो अब भी इंतज़ार करता है,

पर अब इश्क़ नहीं करता।


वो अब भी खड़ा है वहीं,

जहाँ तुमने हाथ छुड़ाया था,

ना आगे बढ़ा, ना पीछे लौटा,

बस वक़्त की रेत में गुमसुम बैठा,

तेरे आख़िरी लफ़्ज़ों को दोहराता है।


कहना,

कि अब भी आती है साँस भारी-सी,

तेरा नाम अब भी धड़कनों में बसा है,

पर अब वो हर धड़कन को

सिर्फ़ जीने की वजह कहता है —

इश्क़ नहीं।


अब वो गुलाबों को छूता ज़रूर है,

पर उनके कांटे गिनता है,

अब वो चाँदनी में बैठता ज़रूर है,

पर उस उजाले में अकेलापन बुनता है।


अगर कभी मिलो तो ये भी कहना —

कि उसने शिकायतें करनी छोड़ दी हैं,

अब आंसू बहाने से पहले

वो खुद को समझा लेता है,

कि इश्क़ अब किस्सा नहीं रहा —

बस एक ख़ामोश सुकून है,

जिसे वो अपनी तन्हाई के सिरहाने रखकर सोता है।


अब भी इंतज़ार करता है,

पर अब तुम्हारे आने की नहीं,

उस दिन की —

जब दिल खुद को माफ़ कर पाएगा

कि उसने किसी को इतना चाहा था।


– कवि अनुभव शर्मा


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