बस के सफर में
कुछ अजीब सा माहौल
हमसे पेश आया
लड़कियों को मैं भइया
और औरतो को मैं
भिखारी नज़र आया
बस थी भरी तो
इस में मेरा
कसूर क्या था
पुरूष तो थे
एक आध दर्ज़न
बाकी बस औरतों से भरी थी
जहा भी पैर रखा तो गाली
जो हिला तो थप्पड़
उन्हे मैं इकलौता इंसान
हाथ साफ़ करने का
टिश्यू पेपर नज़र आया।
चलो खूबसूरत लड़कियों ने
मारा था तो अच्छा था
पर क्यूं बदसूरतों ने
अपना हाथ साफ़ किया
कुछ तो थीं उनमें
हिलती-दुलती चाचियाँ भी शामिल
जिनका चलना-फिरना ही
एक करिश्मा था
किस तरह तोडा उन्होंने
एक नादान से बच्चे को
जैसे वो सब कबाडी
और मैं उन्हें हाथ साफ़ करने का
टिश्यू पेपर नज़र आया।
कवि :- श्री अनुभव शर्मा
kya khoob likha hai aapne Anubhav Ji
ReplyDeleteAise hi rachnaye Rachte Jaye Aur hume Hasate jaye
very nice Anubhav Ji
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